Tuesday, December 16, 2008

मुझको भी आरक्षण दो !

समाज के वर्गीकरण को मिल गया नया अयाम.
आरक्षण क़ी माँग पर नित्य झंडे टंग रहे तमाम.
वर्ग,वर्ण,रंग सब "आरक्षित कोटा " जोड़ना चाहते हैं.
चटकी हुई मेढ को न जाने , कितने हिस्सों में तोड़ना चाहते हैं .
पर व्यवस्था क़ी इस धुरी में कोई मेरी माँग भी सुन लो ,
मैं इस देश क़ी मेधा हूँ कोई मुझको भी आरक्षण दो .

मैने अपने जीवन मैं दिन-रात मैं फ़र्क न किया .
जब सब जग सोया , मैने ज्ञान आत्मसात किया .
माँ ने जेवर गिरवी रखकर , शिक्षा का व्यय सहा .
बाबा रोज दफ़्तर पैदल जाते पर मुझसे कभी कुछ न कहा .
पग-पग बढ़ मैने भी ,सफलता का परचम लहराया.
अपने भविष्य का सुखद चित्रण , सदैव माँ-बाबा क़ी अश्रुत आखों में पाया .

पर आज जब में मेहनत से पढ़ लिखकर तैयार हूँ ,
द्वितीय श्रेणी सब दफ़्तर जा रहे , में ही एक बेकार हूँ .
जब-जब नौकरी माँगने ,किसी द्वार पर जाता हूँ .
आरक्षण क़ी काली छाया को स्वागत द्वार पर पाता हूँ .
विस्मित बुद्धि , शून्य मस्तिष्क , कोई तो मेरी हालत पर तरस खाओ.
या तो मुझे मुक्ति दे दो , या फिर आरक्षित बनाओ .

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