Tuesday, July 31, 2012

तुम्हे मैं अपने अंदर मरने नही दूँगा.


तुम्हे में अपने अंदर मरने नही दूँगा.
तुम स्वतंत्र होने के लिए जन्मे थे और स्वतंत्र ही रहोगे.
तुम एक आज़ाद आवाज़ बनकर जिए हो और अविरल आज़ाद ही ज़िओगे .
तुम चलोगे , सीखोगे , कहोगे , कभी - कभी बाँटोगे भी .
तुम सिख़ाओगे , समझोगे , बताओगे और कभी - कभी डाँटओगे भी.
पर अब तुम स्वतंत्र जियोगे................
तुम अपनी सीमाओं के पार जाओगे.
तुम नव चेतना निहित नव संसार बनाओगे.
चाहें कोई रोके तुम्हे .... चाहें कोई टोके तुम्हे.
तुम अपनी पहचान नही छोड़ोगे.
तुम अपनी वाणी , क्रोध पर संयम रख प्रेम से सब जोड़ोगे.
नाहक किसी दुखी मानुष का ह्रदय नही तोड़ोगे.
तुम समझ के चलोगे अब , मैं हूँ साथ डरने नही दूँगा.
 तुम्हे मैं अपने अंदर मरने नही दूँगा.

Sunday, July 22, 2012

पापा जैसा बनना है



जब भी मैं अब मैदान में खेलते - कूदते बच्चों को देखता हूँ ,
तो अतीत के झरोखे से एक चित्र सा उभर आता है,
जिसमे मेरी नटखट उंगली थामे खड़ा एक साया खूब मन भाता है.
वो बरगद हैं मेरे , जिनकी छाया में मैने निडर अपना बचपन ज़िया.
गिरा कभी , और फिर सीखा संभलना , और हर पल उन्होने मेरा साथ दिया.
वो मेरे पापा हैं..... :)
छोटे-छोटे रेत के किले बनाते मेरे मासूम हाथों को हमेशा उनका हाथ मिला.
जब भी गिरा निराश हुआ , तो उनके शब्दों का साथ मिला.
वो कहते थे जब गिरोगे  - धूल झाढोगे , तभी खड़े होना सीख पाओगे.
एक दिन घूमोगे सारी दुनिया , अपनी खुद की एक पहचान बनाओगे.
और फिर एक दिन साइकिल चलाते - चलाते , मैने उस खूबसूरत एहसास को जिया...
जब पलटकर पता चला की पापा ने मुस्कुराते हुए साइकिल के करियर को छोड़ दिया.. :)
अभी तो चलना है चलना है और चलना है ....
पर जब ज़िम्मेदारी मेरी होगी तो पापा जैसा बनना है ..