Tuesday, July 31, 2012
तुम्हे मैं अपने अंदर मरने नही दूँगा.
तुम्हे में अपने अंदर मरने नही दूँगा.
तुम स्वतंत्र होने के लिए जन्मे थे और स्वतंत्र ही रहोगे.
तुम एक आज़ाद आवाज़ बनकर जिए हो और अविरल आज़ाद ही ज़िओगे .
तुम चलोगे , सीखोगे , कहोगे , कभी - कभी बाँटोगे भी .
तुम सिख़ाओगे , समझोगे , बताओगे और कभी - कभी डाँटओगे भी.
पर अब तुम स्वतंत्र जियोगे................
तुम अपनी सीमाओं के पार जाओगे.
तुम नव चेतना निहित नव संसार बनाओगे.
चाहें कोई रोके तुम्हे .... चाहें कोई टोके तुम्हे.
तुम अपनी पहचान नही छोड़ोगे.
तुम अपनी वाणी , क्रोध पर संयम रख प्रेम से सब जोड़ोगे.
नाहक किसी दुखी मानुष का ह्रदय नही तोड़ोगे.
तुम समझ के चलोगे अब , मैं हूँ साथ डरने नही दूँगा.
तुम्हे मैं अपने अंदर मरने नही दूँगा.
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