एक छोटा बच्चा , रोता अपनी माँ को खोजता है.
फटे टाट के कोने से अपने आँसू पोछता हुआ,
माँ खाना लाने गयी थी , टूटे झोपडे में दिया भी दम तोड़ रहा है.
बच्चे का तीव्र क्रंदन , मानों आकाश में चमकती बिजली से ताल बैठा रहा है.
तभी हस्ते हुए ठेकदार क़ी गाड़ी माँ को छोड़ती है.
अस्त व्यस्त कपड़ों के बीच खाने क़ी थैली चमक उठी ,
भूखा बच्चा आँसू पोछता, थैली पर झपटा .
हाँ भूख ही तो मिटानी थी इस माँ को ,
एक क़ी भूख मिटाकर दूसरे क़ी भूख मिटायी ,
वाह रे वाह समाज , अब करो चरित्र क़ी हसाई .
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