रेल की पटरी के इर्द गिर्द भीड़ जमा थी , कोई कलयुग को कोस रहा था तो कोई इसे मानवीयता का अंत बता रहा था आखिर कैसे कोई माँ इतनी निर्दयी कैसे हो सकती है कि अपनी नवजात बच्ची को इस प्रकार मरने के लिए छोड़ दे , वो तो भाग्य से सफाई कर्मचारी की नजर हिलती हुई पोटली पर पड़ गई और इस नन्ही सी जान की जान बच गई, वो एक छोटी गुडिया के जैसी लग रही थी,उसके नन्हे - नन्हे हाथ और गुलाबी मुख ,बरबस ही आकर्षण का केन्द्र बन गए हर कोई उसे गोद में लेना चाहता था जैसे सारी दुनिया अपना वात्सल्य उस पर न्योछावर करना चाहती हो
पराशर जी हमारे छेत्र की एक कद्दावर हिंदू शक्सियत थे ,उनकी विद्वता और समझ का चर्चा दूर -दूर तक था बस उनके जीवन में एक संतान की ही कमी थी , जब पराशर जी तक बच्ची की चर्चा पहुँची तो वे भी उसे देखने आए और उस सुंदर गुडिया में उन्हें अपनी वर्षो की आशा पूर्ण होती दिखाई देने लगी,पर उनके पहुँचने से पहले ही एक मुस्लिम दम्पति भी उस बच्ची को गोद लेने का मन बना चुके थे अब ये प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया , कुछ देर पहले जहाँ बच्ची अनाथ थी अब उसकी दावेदारी को लेकर कई नाथ लड़ रहे थे बहस चलती रही , भीड़ दो पक्षों में बट चुकी थी ,कोई पराशर जी को सही पालक बता रहा था तो कोई मुस्लिम दम्पति के पक्ष में बयान दे रहा था, हर कोई उस बच्ची के भाग्य निर्धारण में सहयोग करना चाहता था
इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी और कुछ देर में पुलिस और मीडिया का जमवाडा भी हो गया , आधे घंटे बाद देश का हर घर उस बच्ची को देख रहा था, अलग -अलग चैनलों ने उसके कई नाम रख दिए ,अनामिका , परी और जाने क्या -क्या, रेल की पटरी के पास अब दो तम्बू लग चुके थे ,एक तरफ़ पराशर जी के समर्थन में नेता जी भाषण दे रहे थे वहीं दूसरी ओर मुस्लिम दंपत्ति के समर्थन मे एक मौलाना साहब सभा कर रहे थे इस सब से दूर वो नन्ही जान एक पालने मे लेटी हुई अपने भविष्य के निर्धारण का इंतजार कर रही थी
दो दिन बाद का नज़ारा कुछ चोंकाने वाला था,तंबू उखड़ चुके थे सारे मीडीया की गाड़ियाँ जा चुकी पाराशर जी और मुस्लिम परिवार भी अपने घर लौट चुका था,जब कारण जानना चाहा तो पता चला की बच्ची के गले मे पड़ी एक माला से किसी ने उसकी पहचान कर ली थी,वो एक वैश्या की बेटी थी जिसने उसे फेंकेने के बाद वैश्या ने आत्महत्या कर ली , इस सच को जानने के बाद सब एक - एक कर वहाँ से निकल गये और जब उस अनाथ गुड़िया को कोई नाथ न मिल पोलीस ने उसे एक सरकारी अनाथालय मे पहुँचा दिया
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