Saturday, October 18, 2008

आधुनिक भारत का धर्म

ट्रेन पूरी गति से चली जा रही थी,सेकेंड क्लास के उस डिब्बे में चर्चा अपने चरम पर पहुँच चुकी थी,एक से एक बुद्धजीवी अपने तर्क रख रहे थे आप लोगों के यहाँ बच्चे बहुत तेज होते है,एक तमिल महाशय सरदारजी को समझा रहे थे, नहीं जी यह ग़लत बात है हमारे यहाँ के बच्चों को आधुनिक कह सकते हैं पर तेज कहना सही न होगा,एक बनारसी भैईयाज़ी,सरदारजी के समर्थन में कूद पड़े यह सुनकर अब तक शांत बैठे एक तेलगु महाशय भी जोश में आ गये और बोले की हमारे यहाँ से भी कई बच्चे बाहर पढ़ने जाते है पर,भारतीयता की तहज़ीब नही भूलते,सच्ची भारतीयता सिर्फ़ दक्षिण में ही है

सब लोग अपने-अपने तर्क रख रहे थे,सरदारजी ने अपना एक किस्सा बताना शुरू किया ,की कैसे कुछ सालों पहले जब वे मद्रास गये थे तो उन्हे कुछ रिक्शे वालों ने लूट लिया था ,और तब से उन्होने कसम खा ली, कि जब तक होगा ,मद्रासियों से बचकर रहेंगे अब तमिल महाशय भी भड़क गये वो बोले केंद्रीय सरकार भी हमारे साथ ऐसा ही बर्ताब करती है,सब कुछ उत्तर के लोगों में ही बँट जाता है और हमारे बच्चों को नौकरी भी नही मिलतीं हैं , नही ऐसी बात नही है,नौकरियाँ हमारे यहाँ भी कम हो रही है पर हमारे बच्चों को शुरू से ही मेहनत कि आदत होती है बनारसी भैया जी फिर बीच में टपक पड़े

आप मद्रासियों कि एक आदत होती है कि अगर आप को हिन्दी आती है तो भी आप नही बोलते और खास तौर से हम उत्तर भारतीयों कि तो बिल्कुल भी मदद नहीं करना चाहते ,सरदार जी तेलगु महाशय से कह रहे थे , और आप उत्तर भारतीयों कि भी एक आदत होती है कि तमिल ,तेलगु,मलयालम सब आपको मद्रासी ही दिखाई देते है,अगर मैं आपको सरदार कि जगह लाहौरी या अमृतसरी कहूँ तो ?

इसी बीच, उनके डिब्बे मैं ऐक आधुनिक सा दिखने वाला नौजवान आकार बैठ गया वह कनों मैं आइपॉड लगाए हुए था,लंबे बाल और फॅन्सी कमीज़,पाजामा पहने ,वो अमेरिकी सभ्यता का कोई आधुनिक भारतीय अवतार लग रहा था बबलगम चबाते हुए उसने सब कि तरफ मुस्कुरा कर देखा पर किसी ने भी उसकी मुस्कुराहट का जवाब नही दिया अब हमारे चारों बुद्धजीवी कम से कम किसी बात पर तो सहमत थे कि यह लड़का किसी को भी पसंद नही आया,चारों ने अपनी चर्चा जारी रखी और वो लड़का बस उनकी बातें सुनकर मुस्कुराता रहा

ढायं-ढायं,इससे पहले कोई कुछ समझ पाता दो गोलियाँ चल चुकीं थी,तमिल भाई सरदार जी के पीछे से छुपकर उसे देख रहे थे और तेलगु महाशय भैया जी को थामे खड़े थे अगर वह तेज़ी से खड़ा नही होता तो बदमाश क़ी गोलियाँ उन चारों में से किसी को भी लग सकती थी सरदार जी का बिना सोचे-समझे किए गये गुस्से ने बदमाश को भड़का दिया था और उसने पिस्टल निकाल ली , वो तो भला हो कि वो आधुनिक लड़का बीच में आ गया और गोली उसने अपने उपर झेल ली,उसकी अचानक क़ी गयी इस हरकत से बदमाश भी घबरा गया और सबको धक्का देकर,डब्बे से कूद कर भाग गया

अस्पताल में चारों लोग उसके बेड के पास खड़े थे,डॉक्टरों ने उस के घर वालों को फोन कर दिया था कुछ देर बाद वे भी आ गये , उसके पिता सरदार और माँ तमिल थी और यह लड़का एक कॉल सेंटर में काम करता था और अपने एक मलयालम दोस्त के साथ बंबई में कमरा लेकर रहता था

9 comments:

P.N. Subramanian said...

अमरीकी रमेश की कहानी अच्छी लगी. "आधुनिक भारत का धर्म" कुछ ज़्यादा ही काल्पनिक है.
कुछ सुझाव: लिखते समय अर्धविराम (कोमा) के बाद एक स्पेस दें. पूर्ण विराम
के लिए खड़ी लकीर की जगह फूल्स्टॉप का प्रयोग करें. टिप्पणियों के लिए वर्ड वेरिफिकेशन का प्रावधान तुरंत हटा दें. इस के रहते लोग अपनी टिप्पणी लिखने मे परेशानी महसूस करते हैं.लिखते रहें.
आभार.
http://mallar.wordpress.com

Shastri JC Philip said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में इस नये चिट्ठे का एवं चिट्ठाकार का हार्दिक स्वागत है.

मेरी कामना है कि यह नया कदम जो आपने उठाया है वह एक बहुत दीर्घ, सफल, एवं आसमान को छूने वाली यात्रा निकले. यह भी मेरी कामना है कि आपके चिट्ठे द्वारा बहुत लोगों को प्रोत्साहन एवं प्रेरणा मिल सके.

हिन्दी चिट्ठाजगत एक स्नेही परिवार है एवं आपको चिट्ठाकारी में किसी भी तरह की मदद की जरूरत पडे तो बहुत से लोग आपकी मदद के लिये तत्पर मिलेंगे.

शुभाशिष !

-- शास्त्री (www.Sarathi.info)

Shastri JC Philip said...

एक अनुरोध -- कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन का झंझट हटा दें. इससे आप जितना सोचते हैं उतना फायदा नहीं होता है, बल्कि समर्पित पाठकों/टिप्पणीकारों को अनावश्यक परेशानी होती है. हिन्दी के वरिष्ठ चिट्ठाकारों में कोई भी वर्ड वेरिफिकेशन का प्रयोग नहीं करता है, जो इस बात का सूचक है कि यह एक जरूरी बात नहीं है.

वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिये निम्न कार्य करें: ब्लागस्पाट के अंदर जाकर --

Dahboard --> Setting --> Comments -->Show word verification for comments?

Select "No" and save!!

बस हो गया काम !!

Udan Tashtari said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.

वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.

तरीका महाचिट्ठाकार शास्त्री जी ने बता ही दिया है हटाने का.

संगीता पुरी said...

नए चिट्ठे के साथ आपका स्वागत है........आशा करती हूं कि आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिट्ठाजगत को मजबूती देंगे........ बहुत बहुत धन्यवाद।

Unknown said...

अच्छी कहानी है, कुछ सही संदेश मिलते हैं इस से.

Kathan said...

सभी विद्वानों को मेरा साष्टांग प्रणाम. शास्त्री जी / सुब्रमण्यम जी और समीर जी , आप सब लोगों के स्नेह पूर्ण स्वागत से मन गदगद हो गया . मैने चिट्ठा लेखन कुछ दिनो पूर्व ही प्रारंभ किया है इस लिया आप सभी का आशीर्वाद और मार्गदर्शन अपेक्षित रहेगा , मैने आपकी सलाह अनुसार वर्ड वेरिफिकेशन हटा दिया है . एक नयी बाती के साथ शीघ्र मुलाकात होगी - विनय

अभिषेक मिश्र said...

Bahut hi sundar kathan! Swagat mere blog par bhi.

Anonymous said...

very gud, दीपावली की हार्दिक शुभकामना