Monday, October 6, 2008

हुलिए की हलचल

चारों तरफ अफ़रा-तफ़री का माहॉल था,सब लोग इधर-उधर भाग रहे थे | कनाट प्लेस का अमन चौक,खून और माँस के टुकड़ों से पटा पड़ा था | कुछ देर पहले जहाँ नेता जी के बेटे की सभा चल रही थी वहाँ अब कुछ टूटी चप्पलें,बिखरे झंडे और गंधक का धुआँ दिखाई दे रहा था|पाँच मिनिट पहले जिस पंडाल मे देश की सुरक्षा की बात की जा रही थी वो अब सिर्फ़ एक राख का ढेर रह गया था |

ट्रिन-ट्रिन सारे शहर मे घंटियाँ बजनी शुरू हो गयीं,सारा सरकारी तंत्र सकते मे आ गया,हालाँकि अभी नुकसान की पुष्टि नही हो पाई थी पर शायद कुछ आम लोगों के साथ नेता जी का बेटा भी गंभीर रूप से घायल हो गया था,उसके चेहरे पर काफ़ी चोट आई थी और डॉक्टर कुछ भी नही बता रहे थे|

नेता जी बदहवास से डॉक्टरों पर चिल्ला रहे थे,कुछ साथी नेता गण भी उन्हें ढाढ़स बंधाने के लिए साथ आ गये थे |पाँच मिनिट बाद सड़क पर हर तरफ सायरन बजाती गाड़ियाँ इधर से उधर दौड़ रही थी | आईजी से लेकर हवलदार तक सब पुलिस वालों के पेट में पानी हो गया था,दूसरी ओर नेता जी के समर्थक भी सड़कों पर उतार आए ,सारे टीवी चॅनेल्स पर आतंकबाद विरोधी चर्चा शुरू हो गयीं वहीं कुछ युवा समर्थक नेता जी के पुत्र की सलामती के लिए हवन करवाने लगे|जंग खाया हुआ सरकारी तंत्र आज किसी रेसिंग कार की तरह दौड़ रहा था|

कुछ देर बाद सब कुछ शांत हो गया | नेता जी भी घर चले गये और सब कुछ सामान्य होने लगा ,अब कोई भगदड़ नही थी | तीन पुलिस वालों का निलंबन आदेश भी वापिस ले लिया गया | दरअसल भागादौड़ी मैं कुछ लोगों से ग़लती हो गयी , नेताजी का पुत्र तो घायल ही नही हुआ था वह तो कोई आम आदमी था जिसका हुलिया नेता जी के पुत्र जैसा था |

1 comment:

Deep said...

this is the real truth of india.