भाई साहब, इस बार कमलानगर क़ी क्रिकेट टीम मे मेरा चयन होना पक्का है,राजेश मेरी दाढ़ी बनाते हुए मुझे बता रहा था | उसकी हमेशा कि यही आदत थी जब भी मैं उसकी दुकान पर पहुँचता था,हर बार एक नयी कहानी मेरा इंतजार कर रही होती पता नहीं क्यों पर वो मुझसे एक अपनापन सा मानने लगा था | दरअसल उसका भाई मेरे एक परिचित के विद्यालय मे पढ़ता था और मेरी सिफारिश कि वजह से उसे शुल्क में कुछ रियायत मिल गयी ,शायद मेरी यही मदद राजेश के दिल पर असर कर गयी और वो मुझसे प्रेम मानने लगा |
राजेश एक अच्छा क्रिकेटर रह चुका था ,राजपुर क़ी टीम ने काफ़ी मॅच सिर्फ़ उसकी बोलिंग क़ी वजह से ही जीते थे,पर उसके पिता क़ी मृत्यु के बाद,घर का बोझ और छोटे भाई क़ी पढ़ाई का खर्च उसके कंधों पर आ गया | पैसे क़ी कमी के कारण उसे अपने क्रिकेट का शौक छोड़ना पड़ा और बॉल पकड़ने वाले हाथों मे वक्त ने कैंची थमा दी पर आज भी जब भी उसे दुकान से छुट्टी मिलती,वो छोटे लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने चला जाता और फिर हर मॅच क़ी एक नयी कहानी मेरे लिए तैयार हो
जाती |
उसकी एक बात मुझे हमेशा बहुत पसंद आती थी,उसने अपने ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड वालों क़ी तरह अलग- अलग वर्गों मे बाँट रखा था और उसे पता था कि किस ग्राहक से कितना पैसा निकाल सकतें हैं | एक बार उसने मुझे बताया था क़ी कैसे उसने एक आदमी का 90 रुपये का काम कर दिया जो सिर्फ़ 5 रुपये क़ी दाढ़ी बनवाने आया था | समय ऐसे ही चलता रहा और उसकी कहानियाँ और भी मजेदार होती गयीं | इसी बीच,हमारे इलाक़े मे एक ब्रांडेड सलून भी खुल गया और मेरे ज़्यादातर दोस्तों ने वहाँ जाना शुरू कर दिया,वे सब अक्सर मेरा मज़ाक बनाते और मुझे कंजूस कहते पर मुझे पता था कि उस सलून मे राजेश और उसकी मजेदार बातें नहीं मिलने वाली और मैं उसका लालच नहीं छोड़ सकता था |
वो एक शनिवार का दिन था और उसकी छोटी सी दुकान पर ज़्यादा भीड़ नही थी,राजेश मुझे सामने से आता देखकर चहक उठा और एक आदमी की दाढ़ी आधी छोड़कर उसने मेरे लिए स्टूल साफ करके लगा दिया | कुछ देर बाद जब उसका काम ख़त्म हुआ तो उसने मुझसे पूछा कि भैया जी क्या आप आज अपने दस मिनिट मुझे दे सकते हो,मुझे अपने भाई के लिए एक फॉर्म भरवाना हैं | मेरे जवाब देने से पहले ही शायद उसे पता था कि मे तैयार हो जाऊँगा ,उसने फटाफट सामने वाली दुकान से मेरे लिए चाय मंगवा दी और दराज से निकालकर एक फॉर्म मेरे हाथ मे थमा दिया | उत्तर प्रदेश प्रविधिक यूनिवर्सिटी , तो वो अपने भाई को प्रादेशिक यूनिवर्सिटी से इंजिनियरिंग करवाना चाहता था | उसने मुझे बताया कि,मैं अपने भाई कि जिंदगी सुधारना चाहता हूं और उसे पढ़ा - लिखा कर आप जैसा बनाना चाहता हूं |
आज मेरी समझ मे आया कि वो मुझसे इतना प्रेम क्यों मानता था,उसे मेरे अंदर कहीं ना कहीं अपने भाई का भविष्य दिखाई देता था | खैर मैने वो फॉर्म भर कर उसे दे दिया ,उसका चेहरा खुशी से चमक उठा हालाँकि मैं मन ही मन सोच रहा था कि ये पागल फॉर्म भरने को ही इंजिनियरिंग मान रहा है,पता नही यह इंजिनियरिंग का सालाना शुल्क भी जमा कर पाएगा या नही |
समय अपनी चाल चलता गया और में अपनी पढ़ाई मे व्यस्त हो गया,मेरा यह कॉलेज का आख़िरी साल था और किसी भी कीमत पर मैं यूनिवर्सिटी क़ी मैरिट सूची मे आना चाहता था | समय बचाने के लिए अब दाढ़ी बनाने का काम घर पर ही होने लगा,इस बीच किसी ने मुझे बताया कि राजेश कि शादी तय हो गयी पर मे अपनी व्यस्तता के कारण उससे मिलने ना जा सका और ये बात स्म्रति मे धूमिल हो गयी |
कॉलेज ख़त्म हो गया और मैने आगे काम के लिए दिल्ली जाने का निर्णय किया | जाने से पहले मे अपने सब दोस्तों से मिलना चाहता था और अनायास ही मेरे मन मैं राजेश का ख़याल आया ,क्यों न एक आख़िरी बार दाढ़ी बनवा ली जाए | असल मैं मेरे मन मे जिग्यासा थी कि उसकी शादी का क्या हुआ होगा ,क्रिकेट चल रहा होगा या नही वग़ैरह - वग़ैरह | इन्ही सब प्रश्नो को दिमाग़ मैं लिए,मैं उसकी दुकान पर पहुँचा,पर अब वहाँ कोई नया लड़का काम कर रहा था | ये लड़का काफ़ी हद तक राजेश जैसा लग रहा था पर शर्तिया राजेश नही था | जब मैने उससे राजेश के बारे मे पूछा तो उसने बताया क़ी भैया अपनी शादी का कार्ड देने झाँसी गये थे और लौटते मे ट्रेन से गिर कर उनकी म्रत्यु हो गयी और उनके बाद अब
मैने घर का बोझ संभाल लिया |
(ये एक सच्ची कहानी है )
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