Tuesday, November 24, 2009

तुतला विनय

कल हमारे संकू भैया खुश खुश दाँत बनवा आए,
और आज बैठे हैं गाल पकड़े, रुमाल से मुँह दबाए |
पूछ-ताछ करने पर भी कुछ नही बोल रहे हैं,
कितना भी बात कर लो पर हूँ,हूँ , हाँ हाँ के आगे नही डोल रहे हैं |

अब सारा घर घूमे परेशान , गोल गोल सोचे , करे कोई उपाय,
की भैया छोटा सा दाँत बनवा के ही कहे बंद हो गयी इनकी काएँ काएँ |
सब घर बोले झाड़ा डालो , चप्पल मारो या मिर्ची दो खिलाय,
अगर कोई भूत बाधा, जिन्न होवे , तो दूं दबाए भग जाए |

संकू भैया , सुन सब बाबरी कथा , समाधान , झट से भए खड़े ,
और ज़ोर की एक जोरदार आवाज़ :
अले कामीनो बंद कलो अपने फालतू उपाय औल बंद कलो ले पुलानी परिपाटी,
में तो चुप इल्लीए बैठा हूँ क्यों ती कल मैने अपनी सुन्न जीभ है काटी |

कभी कभी एक छोटी सी मूर्खता भी आपको तुतला कर सकता है विनय :(

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