सूर्य के तेज से टकराने में चला,
भर हुंकार, छोड़ विकार
जीवन ज्योति जलाने में चला
मन में है उमंग बहुत,
जीत का भरोसा है .
आज मौत सामने भी हो तो ..
ले जा शीश ये परोसा है.
डर को त्याग , निडर हो ,
प्रचंड तूफ़ानो के वेग से टकराने में चला ...
भर हुंकार, छोड़ विकार
जीवन ज्योति जलाने में चला,
डगर है कठिन मगर , रास्ते स्वयं बनाने है.
काल के कपाल पर पदचिन्ह आज छपाने है.
सोते भारत को तनिद्रा से जगाने में चला .....
भर हुंकार, छोड़ विकार
जीवन ज्योति जलाने में चला......
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